Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

माँ




माँ -सबसे छोटा शब्द
लेकिन सबसे वृहद् रूप
श्रष्टि का आधार
सृजन का स्वरुप

ममता का सागर
धैर्य का सिंधु
सर्वोपरि रक्षक
सर्वप्रिय बंधु

बिना शर्त साथ
सर पर है हाथ
असीमित प्यार
निरंतर दुलार

न कोई अपेक्षा
न कोई परीक्षा
अपनी संतान
जीवन कुर्बान

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