माना मुसीबतें आई हैं
माना कि बदली छाई है
कुछ क्षण को अँधेरा भी है
दुखों ने यूँ घेरा भी है
आखिर ये रजनी जाएगी
इक नया सवेरा लाएगी
ये बदली भी खो जायेगी
अँधेरे को धो जायेगी
नव आशाएं फिर जागेंगी
और सब मुसीबतें भागेंगी
जीवन फिर महक उठेगा यह
कलरव सा चहक उठेगा यह