Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शनिवार, 26 जनवरी 2013

अहसास क्यों नहीं है ?

गणतंत्र दिवस का दिन कोई खास क्यों नहीं है
हम क्या हैं - इस बात का अहसास क्यों नहीं है

बलात्कारी देश की इज्जत को लूटते
रक्षक समय पे खड़ा  आस पास क्यों नहीं हैं

सीमा से लौटते हैं तन बिन  सर  जवानों के
सरहद पे दुश्मनों की कोई लाश क्यों नहीं है

आतंक वादी खून की होली हैं खेलते
इस देश की सर्कार पर उदास क्यों नहीं है

गृह मंत्री कहता विपक्ष आतंकवाद  की जड़ है
बंद करता उसकी कोई ये बकवास क्यों नहीं है 




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