Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

बिना चेहरे वाली औरत

आखिर एक औरत ने दम तौड़ दिया
उस औरत का कोई चेहरा नहीं है
उसका कोई नाम भी नहीं है
एक शरीर था, आज वो भी नहीं है
किसी ने कह दिया 'दामिनी'
किसी ने कह दिया ' निर्भय'
लेकिन हकीकत ये है -
कि वो थी बस एक औरत
और उसके मरने का कारण भी यही था
यही कि  वो थी एक औरत
चंद लोगों के लिए होता है औरत का अर्थ शरीर
वो शरीर जिसकी प्रजनन की क्षमता से चलती है सृष्टि
वो शरीर जो एक शिशु का निर्माण करता है
वो शरीर जिसके अन्दर से जन्म लिया था उन दरिंदों ने भी
उन्होंने  अपमान किया उसी प्रजनन क्षमता का 
थूक दिया अपनी ही माँ की कोख पर 
जो आज शर्मिंदा  होगी अपनी संतान पर
विदा हो गयी वो औरत
वो बिना नाम बिना चेहरे वाली औरत
एक क्षण को अपनी माँ , बहन, पत्नी या बेटी का चेहरा 
लगा कर देखो  उस बिन चेहरे वाली तस्वीर पर
उनका नाम लिख के देखो उस तस्वीर के नीचे 
फिर देखो कैसे काँप  जाती है आत्मा
इस तस्वीर को बसा लो अपने अन्दर
ताकि जब कभी भी तुम्हारे अन्दर जागे
कोई वहशी दरिंदा
उसे नजर आ जाये ये तस्वीर
बिना नाम बिना चेहरे वाली

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