श्रोता
कहते
हैं
- कुछ
मजा
लाओ
जरा
हास्य
सुनाओ
भई,
हास्य कहाँ से लाऊँ
जो आपको सुनाऊँ
हास्य
जीवन
से
हो चुका
है
लापता
जिसका
न
कोई अता
न
पता
हास्य लिखते थे लीडरों पर
दहाड़ते हुए गीदड़ों पर
नेताओं की बातों पर
उनकी करामातों पर
लेकिन अब तो राजनीति नाम का शब्द
हो
चुका
है बिलकुल हास्यास्पद
हंसने की जगह रोना आता
है
जब कोई किसी राजनेता पर कविता सुनाता है
प्रधानमंत्री मौन हैं
पद हुआ गौण
है
कहने को प्रधानमंत्री
हैं
वास्तव में प्रधान संतरी
हैं
सोनिया जी की सुरक्षा में
राहुल जी
की रक्षा में
बबुए से दिखते हैं
मन
ही
मन खिजते हैं
आँखों
पर
पट्टी
है
कानों
में
मट्टी
है
सोनिया जी
लीडर
हैं
भाषण में रीडर हैं
सजधज के
रहती है
जो
कुछ भी कहती हैं
लिखता कोई दूजा है
मुंह इनका सूजा
है
थोड़ी
कुम्हलाई
है
मन
में
घबरायी
है
लफड़े में फंसा है
आजकल जमाई है
राहुल
जी युवा हैं
बस इतना हुआ है
इसके अलावा इन
ने
कुछ
भी
न छुआ है
यु
पी
के
चुनाव
में
बैठे
थे
नाव
में
नैय्या
जब
डूबी
थी
कोंग्रेस
की
खूबी
थी
राहुल
को
बचा
लिया
सब
को डुबा
दिया
गाँधी परिवार है
इसलिए दरबार है
वर्ना ये आदमी बिलकुल बेकार है
एक हैं सलमान भाई
एक था टाइगर वाले नहीं
मंत्री
कानून
के
पद
के जूनून के
कानून
के
रखवाले
बोले मेरे इलाके में आ के दिखाले
जितना हो तुझ में दम
आना तो तेरे हाथ में
है
लेकिन जाने न देंगे हम
और इस गुंडागर्दी का मिला उन्हें फल
खुर्शीद साहब की तरक्की हुई
विदेश मंत्री है
आजकल
किस
पर
हँसे
हम
खुद
ही
फंसे
हैं
हम
रोज का अख़बार है
भरा भ्रष्टाचार है
बढती महंगाई है
घटती कमाई है
टैक्सों की मार है
चोरी व्यापार है
पुलिस पैसे खाती है
फिर भी हड़काती है
पिछले साल एक
दिन
याद है वो एक
दिन
हंसा था मैं जोर से
और अधिक जोर
से
एक
ट्रक
पर लिखा था
मुझको
दिखा
था
उस पर
एक नारा था
बहुत ही प्यारा था
सौ में
से नब्बे बेईमान
फिर
भी मेरा भारत महान
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