वेद कोई सुन्दर जिल्द वाली चार पुस्तकों का सेट नहीं
जो किताबों की अलमारी की शोभा बढ़ाये
वेद कोई सजावट का सामान नहीं
क्योंकि इसमें पूरा विश्व समाये
वेद ज्ञान है किताब नहीं
वेद शब्द है लेख नहीं
वेद कोष है कागज नहीं
वेद एक देन है कोई खोज नहीं
क्योंकि वेद तब भी थे
जब नहीं था कागज
नहीं थी किताब
नहीं थी लिखाई
नहीं थी छपाई
वेद शब्द हैं
जो सीधे कानों तक पहुंचे थे
वेद ज्ञान है
जो ईश्वर ने दिया था
सृष्टि के प्रारंभ में
ऋषियों के माध्यम से
वेद कोष है
जिसमे समाहित है ईश्वर के निर्देश
आदेश नहीं - निर्देश
क्योंकि उसने दी हमें
मानने न मानने की स्वतंत्रता
कर्म करने की छूट
ऐसा न होता
तो फिर पुण्य और पाप कहाँ होते
यदि वो ही करवाता
तो बस पुण्य ही करवाता
पाप नहीं
वेद माता है
जो हमें जीवन का पीयूष पिलाती है
वेद पिता है
जो हमें बढ़ने को भोजन देता है
वेद गुरु है
जो हमें सम्पूर्णता के लिए ज्ञान देता है
अगर हम लेना चाहे
वेद क्या है
सृष्टि का सिलसिला है
एक सृष्टि से दूसरी सृष्टि तक मिला है
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