शब्द क्या है
एक ध्वनि जो हम मुंह से निकालते हैं
कहाँ जाते है वो शब्द
शायद तैरने लगते हैं
हवा में
आकाश में
ब्रह्माण्ड में
आइये ढूँढने निकलते हैं उन शब्दों को
जो कभी न कभी उच्चारित हुए थे
वो महत्वपूर्ण शब्द
और मैं निकल पड़ता हूँ ब्रह्माण्ड में
शब्दों की खोज में
अथाह सागर उमड़ रहा है
शब्दों का
किसे सुनूं किसे देखूं
चलो उस छोर से शुरू करता हूँ
जहाँ एक बहुत बड़ा शब्द समूह है
ये तो संस्कृत मैं है
चार अलग अलग ढेरियो में
अरे ये तो चारों वेद हैं
जो प्रतिधव्नित हो रहें हैं
उन चार ऋषियों -
अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिरा की आवाजों में
शायद सबसे पुराने शब्द
जो उत्पन्न हुए थे श्रृष्टि के आरम्भ में
घोर शांति है यहाँ
भरपूर ज्ञान
भरपूर ज्ञान
और ये कोलाहल के बीच किसके शब्द हैं
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव ..........
ये तो योगीराज श्रीकृष्ण के शब्द हैं
और ये कोलाहल
कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि का है
अशांति के बीच भी ज्ञान
अशांति के बीच भी ज्ञान
और ये कौन उपदेश कर रहा है
कुछ राजनीति का पाठ पढ़ाते हुए
शायद चाणक्य है
चन्द्रगुप्त से कुछ संवाद कर रहें हैं
नीति और ज्ञान
नीति और ज्ञान
तुम मुझे खून दो .........
मैं तुम्हे आजादी दूंगा
समझ गया
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के वो महान शब्द
मैं धन्य हो गया
और ये भजन के शब्द -
वैष्णव जन तो तेने कहिये .......
बापू ?
बापू के शब्दों के बीच जाता हूँ
ओह ..............ये क्या सुन लिया मैंने
बापू के दर्दनाक शब्द ...........हे राम .............
अब ये कैसे कैसे शब्द आ रहें हैं
विभाजन , हिन्दू, मुस्लमान, सिख
मारो काटो एक भी बचने न पाए .....
मैं सिहर जाता हूँ
और ये सब क्या है
धर्म निरपेक्ष , आरक्षण , दलित ..........
जाट , ब्राह्मण , हरिजन .............
सवर्ण , अछूत, सरदार .........
और अब ये नए किस्म के शब्द .....
घोटाला , भ्रष्टाचार , बलात्कार
वोट बैंक , आतंकवाद , आर डी एक्स
दुर्गन्ध बढती जा रही
शब्द सड़ते जा रहे हैं
और मैं इस दलदल में फंसता जा रहा हूँ
गूँज रहे हैं -
बाबरी , मुंबई हमला , कसाब
अनशन , सद्भावना , रथ यात्रा
रामलीला , जन्तर मन्तर , पुलिस , लाठी
मुझे बचाओ कोई इस दलदल से
हाँ इस 'दल' 'दल' से
शब्दों के नीचे मैं दब रहा हूँ
सांस लेना मुश्किल हो रहा है
मैं भाग रहा हूँ
निरंतर इस शोर से
वहाँ जहाँ शब्द न हो
वहाँ जहाँ शब्द न हो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें