Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

एक और गणतंत्र दिवस

एक और गणतंत्र दिवस
ऐसे  देश का 
जहाँ गणना है प्रचुर 
लेकिन गण है नगण्य

कई अंग्रेजीदां 
इसे कहते हैं गनतंत्र भी
क्योंकि यहाँ चलती है 
बंदूके कभी पुलिस की जनता पर 
कभी नक्सलवादियों की पुलिस पर 

और इस महान गणतंत्र की संसद 
बैठ कर बहस करती है 
किस किस का भ्रष्टाचार रोकना चाहिए 
और किस किस का नहीं 
कोई कहता है प्रधानमंत्री को बाहर रखो 
कोई कहता है की संसद सदस्य  दूध के धुले हैं 
कोई कहता है की सरकारी नौकर कहाँ भ्रष्टाचार करता है

सरकार का यह मानना है कि
भ्रष्टाचार करती है सामाजिक संस्थाएं 
जो समाज सेवा के लिए चंदा इकठ्ठा करती है 
भ्रष्टाचार करते हैं उद्योगपति 
जो बड़े बड़े कारखाने लगाते हैं
भ्रष्टाचारी हैं किरण बेदी और अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग 
जो सोये हुए देश को जगाने कि कोशिश करते हैं 
और सरकार का सोचना है कि 
भ्रष्टाचार करते हैं अन्ना जैसे नेता 
जो चुनाव में सरकारी दल का विरोध  करते हैं

ऐसे में कहाँ है गणतंत्र 
नगण्य गण का नगण्य तंत्र 
और इस महान दिन के उपलक्ष्य में 
देश के नाम सन्देश देती हैं राष्ट्रपति महोदया 
कि अगर फल ख़राब है तो फल को तोड़ कर हटाओ 
पेड़ क्यों काटते हो 
लेकिन अगर पेड़ में बीमारी फैली हो तो क्या करें ? 

बहरहाल छबीस जनवरी है 
टेलीविजन पर परेड  देखिये 
ज्यादा खुजली हो तो कहीं झंडोतोलन में हो आइये 
बाकी सारा दिन पड़ा है 
पिक्चर विक्चर देखिये 
मजा कीजिये !
गणतंत्र दिवस की बधाई !    


   

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