आ जिंदगी , चल बैठ कहीं गुफ्तगू करें
दिल को सुकून मिल सके ये जुस्तजू करें
मुश्किलों से भाग कर हम जायेंगे कहाँ
आ मुश्किलों का सामना हो रूबरू करें
देखें किसी को बांटते औरों के ग़म कभी
चल हम भी उनसे सीख कर वो हुबहू करें
दीपावली का दिन है , चिराग जलाएं
दिल में मुकम्मल रोशनी की आरजू करें
बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
महेंद्र जी बहुत ही अच्छी कविता , दिवाली की शुभ कामनाओं के साथ ये नसीहत भी की चिराग जलाना हो तो दिलों में जलाओ महेंद्र जी जिन्दगी तो खुद ही इक दिया है इक " लो " है जिसे निरंतर जलते जाना है जैसे दिए की इक बाती इक और से जलती रहती है रोशनी देती रहती है और दूसरी और से (दूसरे छोर ) से ख़तम होते जाती है और पता ही नहीं चलता कब समाप्त हो गयी जिन्दगी भी ऐसी ही है " हे " लो" जिन्दगी , जिन्दगी नूर है मगर इसमे जलने का दस्तूर है रिवायत है की जिन्दगी गहना है ये हीरा है और चाटते रहना है -ममता
जवाब देंहटाएंj