थप्पड़
जिसका कोई विशेष अस्तित्व नहीं होता
जब तक
उसके मारने वाले का
या उस गाल का
कोई विशेष अस्तित्व नहीं हो
जिस पर वो पड़ा था
रोज थप्पड़ खाते हैं
गरीब रिक्शेवाले
बेरोजगार युवक
असहाय आरोपी
पुलिस थाने में
वर्दी वाले पुलिसिया हाथों से
चुपचाप आंसू पोंछ कर
लग जाते हैं फिर से अपने काम में
क्योंकि थप्पड़ मारना पुलिस का स्वभाव है
और उन गरीबों की नियति
मीडिया भी तब तक
न कुछ देखती
न कुछ दिखाती
जब तक पिटाई से थाने में
किसी गरीब की मौत न हो जाए
लेकिन ये थप्पड़ कुछ अलग था
ये थप्पड़ था एक आम आदमी का
जो गुस्से में भरा हुआ था
गुस्सा गरीबी का
गुस्सा महंगाई का
गुस्सा सरकारी भ्रष्टाचार का
गुस्सा उसकी अपनी मामूली अपेक्षा का
गुस्सा उसकी उपेक्षा का
और वो गाल था - एक अति खास आदमी का
एक राजनैतिक नेता का
देश के चुने हुए एक नायक का
सरकार को चलाने वाली मशीन का
और ये एक थप्पड़ बन गया
एक मुद्दा राष्ट्रीय बहस का
मीडिया को मिल गया -
एक और दिन का मसाला
राजनैतिक दलों को मिल गया बहाना -
संसद में चल रहे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने का
गाल वाले नेताजी के दल को मिल गया -
एक कारण सड़कों पर तोड़ फोड़ का
कोई नहीं पूछेगा कि
इस थप्पड़ के बदले कितने थप्पड़ मिले
हरविंदर सिंह को
अगली खबर बनेगी अगर
हरविंदर सिंह मरे तो -
वर्ना ये किस्सा ख़त्म !
कल से कोई नयी घटना ढूंढें !
जिसका कोई विशेष अस्तित्व नहीं होता
जब तक
उसके मारने वाले का
या उस गाल का
कोई विशेष अस्तित्व नहीं हो
जिस पर वो पड़ा था
रोज थप्पड़ खाते हैं
गरीब रिक्शेवाले
बेरोजगार युवक
असहाय आरोपी
पुलिस थाने में
वर्दी वाले पुलिसिया हाथों से
चुपचाप आंसू पोंछ कर
लग जाते हैं फिर से अपने काम में
क्योंकि थप्पड़ मारना पुलिस का स्वभाव है
और उन गरीबों की नियति
मीडिया भी तब तक
न कुछ देखती
न कुछ दिखाती
जब तक पिटाई से थाने में
किसी गरीब की मौत न हो जाए
लेकिन ये थप्पड़ कुछ अलग था
ये थप्पड़ था एक आम आदमी का
जो गुस्से में भरा हुआ था
गुस्सा गरीबी का
गुस्सा महंगाई का
गुस्सा सरकारी भ्रष्टाचार का
गुस्सा उसकी अपनी मामूली अपेक्षा का
गुस्सा उसकी उपेक्षा का
और वो गाल था - एक अति खास आदमी का
एक राजनैतिक नेता का
देश के चुने हुए एक नायक का
सरकार को चलाने वाली मशीन का
और ये एक थप्पड़ बन गया
एक मुद्दा राष्ट्रीय बहस का
मीडिया को मिल गया -
एक और दिन का मसाला
राजनैतिक दलों को मिल गया बहाना -
संसद में चल रहे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने का
गाल वाले नेताजी के दल को मिल गया -
एक कारण सड़कों पर तोड़ फोड़ का
कोई नहीं पूछेगा कि
इस थप्पड़ के बदले कितने थप्पड़ मिले
हरविंदर सिंह को
अगली खबर बनेगी अगर
हरविंदर सिंह मरे तो -
वर्ना ये किस्सा ख़त्म !
कल से कोई नयी घटना ढूंढें !
थप्पड़ किस गाल पर - इसकी अहमियत है . वरना आए दिन थप्पड़ लगते हैं
जवाब देंहटाएंरोज थप्पड़ खाते हैं
जवाब देंहटाएंगरीब रिक्शेवाले
बेरोजगार युवक
असहाय आरोपी
पुलिस थाने में
वर्दी वाले पुलिसिया हाथों से
चुपचाप आंसू पोंछ कर
लग जाते हैं फिर से अपने काम में
क्योंकि थप्पड़ मारना पुलिस का स्वभाव है
और उन गरीबों की नियति
बहुत सुन्दर रचना..बधाई
रोज थप्पड़ खाते हैं
जवाब देंहटाएंगरीब रिक्शेवाले
बेरोजगार युवक
असहाय आरोपी
पुलिस थाने में
वर्दी वाले पुलिसिया हाथों से
चुपचाप आंसू पोंछ कर
लग जाते हैं फिर से अपने काम में
एक कटु सत्य
http://urvija.parikalpnaa.com/2011/11/blog-post_29.html
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