क्या स्पर्श बिन अभिव्यक्ति संभव है ?
पूर्ण अभिव्यक्ति असंभव है !
नवजात शिशु को माँ हाथों में लेती है
सीने से लगाती है
उस पर चुम्बनों की बरसात कर देती है
क्या इन स्पर्शों के बिना
वात्सल्य अभिव्यक्त हो पाता ?
परीक्षा में अव्वल दर्जे में उत्तीर्ण होने के बाद
जब एक बेटा अपने पिता के चरण स्पर्श करता है
और पिता उसकी पीठ थपथपाता है
उसे सीने से लगा लेता है
क्या इन सभी स्पर्शों के बिना
पुत्र की श्रद्धा और पिता का गर्व अभिव्यक्त हो पाता ?
ससुराल से लौटी विवाहित बेटी
अपनी माँ से गले मिलती है
बहन को चूम लेती है
भाई के गाल थपथपाती है
तभी तो उसे पीहर आने का अहसास होता है !
प्रेमी प्रेमिका तो बिना शब्दों के
जैसे स्पर्श की भाषा में ही बात करते हैं !
पति पत्नी का जीवन और प्रेम
और उनकी रचनाएँ - उनकी संतति
बिना स्पर्श असंभव है !
स्पर्श जितना सुख देता है
अवांछित स्पर्श उतना ही दुःख देता है।
वांछित स्पर्श जैसे भावनाओं की अभिव्यक्ति है
अवांछित स्पर्श सिर्फ वासनाओं की अभिव्यक्ति है।