जिंदगी कुछ बेमज़ा सी हो गयी
साँस लेना ही वजह सी हो गयी
मुझसे कुछ पूछे बिना सब कुछ हुआ
मेरी ख़ामोशी रज़ा सी हो गयी
मुस्कुराने की वजह मिलती नहीं
मुस्कराहट भी सज़ा सी हो गयी
फेफड़ों में जहर सा यूँ भर रहा
जैसे ज़हरीली फ़िज़ा सी हो गयी
लड़ रहा हर वक़्त कोई जिंदगी से
जिंदगी भी यूँ कज़ा सी हो गयी
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