Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013

बे-चारा लालू










विश्वास नहीं  होता
ऐसा भी होता है
भारत का नेता भी
अब अन्दर होता है

कितना भी धूरत हो
कितना भी हो चालू
चाहे मिश्रा  जग्गू
चाहे यादव लालू

अपराध कहाँ था वह
बस खाया था चारा
चोरी गौ माता से
लो फंस गया बेचारा

चुपचाप सह गयी वो
भोली भाली  गैय्या
चोरी करने वाला
ग्वाला ही था भैया

दिन उलटे पड़  गए तब
लालू चुनाव हारा
सरकारी चमचा बन
फिरता मारा  मारा

फिर कांग्रेस ने भी
है झाड लिया पल्लू
लालूजी से अब
वो बन गया है लल्लू

सर्कार सहारे तो
ये  देश बेचारा है
न्यायालय ही अब तो
बस एक सहारा है