Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 28 अगस्त 2013

कहाँ मुंह दिखा पायेगा ?


आशाराम बापू !
बहुत खूब नाम रखा तूने !
आशा - यानि भविष्य की उम्मीद
राम - यानि मर्यादा पुरुषोत्तम राम
बापू - माँ  शब्द के बाद वात्सल्य की पराकाष्ठा !

तीनों नामों को बदनाम किया
गाय की खाल में भेड़िये  का रूप ?
बहुत व्याख्यान दिए तूने -
ईश्वर  पर , भक्ति पर
अंतर की शक्ति पर
परिवार के प्यार  पर
मानव के व्यवहार पर

भविष्य की प्रतीक वो बच्ची आई थी तेरे द्वार
पाने को तेरा आशीर्वाद , तेरा दुलार
तूने क्या दिया  उसे
वहशीपन , दरिंदगी !

जिंदगी भर राम के नाम पर
रोटियां सेकी तुमने
क्या क्षण भर को भी  उस राम का भय नहीं लगा
जब उतारे तुमने उस मासूम के कपडे

बापू - कहाना चाहते थे न तुम अपने आप को ?
क्या ऐसे होते हैं बापू ?
तेरी अंधश्रद्धा में फंसे उस परिवार को
बना लिया निवाला अपने चर्म सुख का

तू तो बुरा निकला एक वेश्या से भी
क्योंकि एक वेश्या ढोंग नहीं करती वो होने का
जो वो है नहीं
और न ही वो न होने का
जो वो है

कहाँ मुंह दिखा पायेगा ?
न इस लोक में
न उस लोक में

2 टिप्‍पणियां:

  1. Right from the first day whe n I saw this character on TV giving a discourse (supposed to be religious) throwing political comments on every point. I had told at that time and have been maintaining till date that this man is NOT to be Called a SAINT under any circumstances. I was not surprised when the news of the TV reported of disappearance of two children from his so called 'ASHRAM'. Somehow my heart says there is going to be another "NITHARI KAAND" unearthed with this TAMASHA RAM in place of PANDHER.

    God Bless this country which has people still following this beast.

    जवाब देंहटाएं