Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

घुड़दौड़

घुड़दौड़

भागते घोड़े नहीं ये

भागती तकदीर है

भागती तकदीर की ये

जागती तस्वीर है

दूर बैठे लोग कितने

हैं लगते दांव को

कैमरे कितने लगे जो

आंकते हैं पांव को

कोई लाखों पा चुकेगा

कोई देगा हार सब

खेल अद्भुत ये निराला

खेलता सवार सब


1 टिप्पणी: