tag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post7916968964410891439..comments2023-10-07T13:29:02.173+05:30Comments on Mahendra's Blog (मेरी हिंदी कवितायेँ ): रात और दिनMahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-91531698474824814112011-04-28T20:27:02.090+05:302011-04-28T20:27:02.090+05:30ye dusari bar tippapni karrahihun subah vali dikha...ye dusari bar tippapni karrahihun subah vali dikhaai nahi de rahi मनवा https://www.blogger.com/profile/02870656533991445962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-26294442196882136122011-04-28T20:26:20.289+05:302011-04-28T20:26:20.289+05:30बहुत दिनों बाद आज आपके ब्लॉग तक आना हुआ , आई और क...बहुत दिनों बाद आज आपके ब्लॉग तक आना हुआ , आई और काफी देर ठहर गयी | बहुत ही सुन्दर रचना है आपकी | बहुत गहरे अर्थ रखती है आपकी हर रचना | हर सुबह , जब आती है तो कितनी प्यारी और उमंगों से भरी होती है बिलकुल बचपन की तरह निच्छल | और फिर दोपहर सूरज की चुभन , काम की थकन कैसे उस सुबह के उल्लास को फीका करने लगती है |<br />और फिर शाम जो दिन के ढलने का संदेश लेकर आती है|और फिर पूरा दिन रात में बदल जाता है |इस तरह हर दिन रात में और रात दिन में बदलती जा ती है और जीवन आगे खिसकता सा प्रतीत होता है --सुबह होती है शाम होती है , उम्र यूँही तमाम होती है मनवा https://www.blogger.com/profile/02870656533991445962noreply@blogger.com