tag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post5434994057288196897..comments2023-10-07T13:29:02.173+05:30Comments on Mahendra's Blog (मेरी हिंदी कवितायेँ ): टिपण्णी रुपी भ्रमरMahendra Arya's Hindi Poetryhttp://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-84236076310746804042010-08-10T18:22:02.515+05:302010-08-10T18:22:02.515+05:30shukriyaan jishukriyaan jimamtanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-15114220403556059622010-08-10T13:18:15.026+05:302010-08-10T13:18:15.026+05:30यही शायद ब्लोग्स का असली लाभ है ; हम जुड़ पाते हैं...यही शायद ब्लोग्स का असली लाभ है ; हम जुड़ पाते हैं सम विचारधारा के लोगों से . देखिये न रक्षा बंधन के महीने में एक बहन मिल गयी .Mahendra Aryahttp://mahendraarya.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-35547661159681020992010-08-10T12:53:11.241+05:302010-08-10T12:53:11.241+05:30महेंद्र जी , बहन भी कहते हैं और माफ़ी भी माँगते ह...महेंद्र जी , बहन भी कहते हैं और माफ़ी भी माँगते हैं , आप तनिक भी ऐसा ना सोचे की आपके व्यंग से मुझे ठेस पहुंची है , आप जैसा अनुभवी व्यक्ति यूँ ही कोई बात नहीं कहेगा. आप की कविता में छिपे व्यंग को मैं समझ सकती हूँ और आप जो कह रहे है वैसा हो भी रहा है लेकिन मेरे भाई , जीवन में रिश्तों में भरम बनाए रखना पड़ता है इससे जिन्दगी आसन हो जाती है चूँकि , आप को इतने लोग पढ़ते हैं और आप पर विशवास भी करते होगें ऐसे में यदि नए ब्लोगरों को पता लगे की उनकी रचनाओं पर की गयी टिपण्णी कितनी खोखली है तो शायद उनका मनोबल टूट जाए उन्हें तो लगता है की उनकी रचना सबसे अच्छी है उसे किसी ने नोटिस तो किया --समय आने पर वो भी समझ जायेगे की ब्लॉग की दुनिया के क्या दाव- पेंच हैं <br />चलिए उन झूठे ब्लोगरों को इक बार और शुक्रियां कहुगी की सावन के महीने में मुझे आपने बहन कहा और मुझे इक ज्ञानवान भाई मिला <br />आपका शुक्रियां इस बहाने बातचीत शुरू तो हुई इसे बनाए रखें -ममताmamtanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-59351000342900230372010-08-10T00:24:47.678+05:302010-08-10T00:24:47.678+05:30बहन ममताजी ! सबसे पहले तो ये कहना है की मेरी रचना ...बहन ममताजी ! सबसे पहले तो ये कहना है की मेरी रचना में निहित व्यंग से आपको कहीं ठेस लगी हो तो बिना किसी जद्दोजहद के मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ. किसी भी रचना का ये उद्देश्य कतई नहीं होता. निसंदेह ब्लॉग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम मात्र है . यदि आपने मेरे ब्लॉग में मेरा एक वाक्य का परिचय पढ़ा होगा- जो कुछ इस प्रकार है -" Blog for me is my expression of my mind and heart.........offered for sharing." <br /><br />जब हम शेएर करने के लिए लिखते हैं , तो निः संदेह हम हमारे पाठकों की प्रतिक्रिया भी जरूर जानना चाहेंगे.मैं इस विषय में आपसे कोई अलग नहीं .प्रतिक्रिया खट्टी हो या मीठी स्वागत सबका एक सा होता है. मेरी कविता में जो व्यंग मैंने लिखा है - उसके पीछे है मेरा व्यक्तिगत विश्लेषण . नया ब्लॉगर होना कोई बुराई थोड़ी है . मैं खुद भी बिलकुल नया हूँ इस क्षेत्र में . अपने संतोष के लिए मैं लिखता हूँ मेरी अपनी डायरीओं में - जहाँ मेरे अलावा कोई नहीं पहुँच सकता . लेकिन जब यहाँ लिखता हूँ तो लोगों के लिए - बिना इस उम्मीद के की लोगों को मेरा लिखा अच्छा या बुरा लगेगा. <br /><br />कविता का शीर्षक आया एक रोज मिलने वाली ईमेल से जिसमे आमंत्रित किया जाता है नए ब्लोग्स पर भ्रमर रुपी टिपण्णी को .यहाँ तक सब ठीक है - मैं भी नए नए ब्लोग्स खोलता हूँ और पढता हूँ. जो मुझे बहुत भा जाता है उस पर अपनी एक टिपण्णी भी करता हूँ . लेकिन चकित रह जाता हूँ जब कई बार एक टिपण्णी सामान रूप से चिपका दी जाती है किसी नए साहित्यिक ब्लॉग पर भी और बिलकुल सतही या कई बार अपठनीय ब्लोग्स पर भी . उस समय एक अच्छा लिखने वाला नया ब्लॉगर आहात ही तो होगा न ?<br /><br />आप अच्छा लिखती हैं . ग़लतफ़हमी दिल से बिलकुल निकाल दीजिये .Mahendra Arya's Hindi Poetryhttps://www.blogger.com/profile/02932120575765684553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-77709157041789820922010-08-09T19:51:35.917+05:302010-08-09T19:51:35.917+05:30महेंद्र जी आपने तो सारे मुगालते ही दूर कर दिए ,...महेंद्र जी आपने तो सारे मुगालते ही दूर कर दिए , आप भी कम होशियार ब्लोगेर नहीं है आप ने भी मेरे ब्लॉग पर सबसे पहले टिपण्णी की थी , नए नए ब्लोगरों को ऐसे होशियार पुराने ब्लोगरों की जरुरत हमेशा रहती है. हम क्या जाने की हमारे पास आई टिपण्णी कितनों के पास गयी है हमें तो ऐसा लगता है की ये तारीफ सिर्फ हमारी और हमारी रचना की है <br />वैसे भी ब्लॉग खुद को अभिव्यक्त करने का जरिया है किसी की टिपण्णी का मोहताज नहीं , लेकिन जब टिपण्णी आती है तो होसला बढ़ता है -वो किसी ने कहा है की कोई पल भर के लिए हमें प्यार कर ले झूठा ही सही -तो ब्लॉग की नैया तो बहेगी साहब जिस और भी लहरे ले जाए ,लेकिन जब तारीफ के झोकें आते हैं तो गति बढ़ जाती है भले ही वह झूठी ही हो मैं तो शुक्र गुजार हूँ उन ब्लोगरों की जो बिना पढ़े ही जाने अनजाने नए ब्लोगरों का हौसला बढ़ाते है <br />मुझे तो लगा था की आप ने मेरी रचना को वास्तव में पढ़ा होगा कोई बात नहीं हमने तो आपके ब्लॉग पर आकर आपको पढ़ा क्या खूब लिखते है आप लिखते रहिये -ममताmamta vyasnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-14770517650523526602010-08-08T11:23:07.688+05:302010-08-08T11:23:07.688+05:30सटीक कहा है.....सटीक कहा है.....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-570573753792296226.post-65300111815722173082010-08-08T11:16:05.553+05:302010-08-08T11:16:05.553+05:30बहुत ही तजुर्बेकार दिखते हैं महेन्द्रजी .... बढ़ि...बहुत ही तजुर्बेकार दिखते हैं महेन्द्रजी .... बढ़ियासमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com