Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 24 मार्च 2016

देश मांगता आजादी

देश मांगता आजादी


गद्दारों से -आजादी
मक्कारों से -आजादी
देश को गाली देने वाले
सब नारों से -आजादी !

मुफ्तखोरों से -आजादी
छुपे चोरों से -आजादी
देश का खाकर  उल्टा बोले
उन छिछोरों से आजादी !

उन नेताओं से आजादी
उन श्रोताओं से आजादी
जेएनयू में राजनीती के
कर्ताओं से -आजादी !

अलगाववाद से -आजादी
आतंकवाद से - आजादी
इनको शह देने वाले दल की
हर बकवाद से आजादी !

सस्ते में मिल गयी - आजादी
धूर्तों को मिल गयी -आजादी
इसीलिए वो नहीं समझते
क्या होती है - आजादी !

दी भगत सिंह ने आजादी
दी राजगुरु ने आजादी
बिस्मिल, सुखदेव की क़ुरबानी
और दी आजाद ने आजादी !





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