Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

रविवार, 2 अगस्त 2015

हे सविता !

[ आज मेरी बड़ी बहन सविता ने साठ साल पूरे किये। मुझसे बस एक साल बड़ी हैं। मैंने उन्हें ये कविता भेंट की अपनी आवाज में। मेरी बहुत सारी शुभकामनायें उनको। ]


हे सविता !
तुम हुयी साठ  की मैं उनसठ का
इस पर क्या हो कविता !
हे सविता !

लगती सब बातें कल की सी
जो बीत गयी हैं पल की सी
तुम पढ़ने में पागल रहती
तुम पर बलिहारी पिता !
हे सविता !

हम  भाई मस्ती करते थे
कभी लड़ते कुश्ती करते थे
तुम एक घुड़की देती हमको
माँ को दूँगी सब बता !
हे सविता !

तुम छोटी थी जब आठ साल की
हमको लगती तुम साठ  साल की
बस भजन हवन और पठन तेरा
हमको बोरिंग लगता !
हे सविता !

हम तुमसे कितना डरते थे
पीछे से हिटलर कहते थे
फिर भी तुम ढक  लेती थी
तब हाँ दोनों की खता !
हे सविता !

अब सच में हुई साठ  की तुम
बचपन के पढ़े पाठ की तुम
अब मूर्ति दिखाई देती हो
हैं नमन तुम्हे सविता !

हे सविता !

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