Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

कश्मीर नहीं समस्या

कौन  कहता है
कश्मीर कोई विवाद है
देश के अन्य राज्यों जैसा है
कहाँ कोई अपवाद है ?

कश्मीर को भी चाहिए
आजीविका के  अवसर
शांति का जीवन
स्वच्छ साफ़ परिसर

बच्चों को शिक्षा
बड़ों को रोजगार
बूढ़ों को आदर
महिलाओं को अधिकार

पर्यटकों की भीड़ 
डल में रौनक
दिलों में ख़ुशी
चेहरों पर चमक

बता दिया विश्व को
पिछले चुनाव में
ये अभिन्न है भारत से
नहीं अन्य प्रभाव में

समस्या है कश्मीर
पर कश्मीर में नहीं
किसी और ही मुल्क की
तकदीर में नहीं

कश्मीर का हर दल अब
सरकार चाहता है
कश्मीर की तरक्की
सौ बार चाहता है

इस बार की सरकार तो
गर काम यूँ करेगी
कश्मीर समस्या का
 इंतजाम यूँ करेगी

अलगाववादियों का
अलगाव वादियों से
ऐसा करेगी पुख्ता
ठहराव वादियों से

आतंकवादियों को
दहशत में ऐसी डाले
आतंक  से मरे सब
आतंक करने वाले


बुधवार, 24 दिसंबर 2014

माँ

ठन्डे पहाड़ों के बीच
बसा  वो छोटा सा शहर
कभी कोहरा कभी बादल
कभी वर्षा हर पहर !

इस ठन्डे शहर में
थी इक बड़ी हवेली
जिसमे बसती  इक दुनिया
दुनिया से अलबेली !

ठंडा आँगन ठंडी धरती
ठंडा था आसमां
इस ठंडेपन के बीच मगर
ऊष्मा थी प्यारी माँ !

उसकी ममता की निवाच में
सब कुछ ही सबका था
उस दिल की बड़ी रजाई में
सारा घर दुबका था !

सबसे पहले उठती थी माँ
सबकी खातिर उठती
छत  पर चौके में जाने को
सीढ़ी पहले चढ़ती !

चौके में चूल्हा एक तरफ
एक तरफ बनी  क्यारी
एक तरफ बैठ तकती सबको
माँ थी कितनी प्यारी !

बाबूजी रहते शांत सदा
जीवन बिलकुल सादा
माँ उनकी सेवा में रहती
बन घर की मर्यादा !

कितने बेटे कितनी बहुएं
कितने पोती पोते
सबका रखती वो ध्यान
हमेशा जगते या सोते !

वेदों ने माना मनु जीवन
जीवन सौ वर्षों तक
उत्तम जीवन जीने वाले ही
जीते पूर्ण शतक !

इन सौ वर्षों के जीवन में
इक दुनिया बना गयी
सौ लोगों के इस घर की
यादों में समा  गयी  !

माँ , आज तुम्हारा अभिनन्दन
करते हम सब बच्चे
तुम दूर कहाँ हमसे, माँ

कहते मन से सच्चे !