Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

रूपया कहाँ गिर रहा है

कौन कहता है -
रूपया गिर रहा है
गिर तो रहा है आदमी
गरीबी की रेखा से नीचे
ऊपर जाती है कीमतें
नीचे आती है ये रेखा !

रूपया कहाँ गिर रहा है
गिर तो रही है साख इस देश की
सिरमौर बनने  का ख्वाब देखते देखते
सर  उठाने लायक भी नहीं रहे


रूपया नहीं गिर रहा मेरे भाई
गिर रही है इस देश की राजनीति
स्कूल में जहर खा कर मरे  बच्चों पर राजनीति
उत्तराँचल की त्रासदी पर राजनीति
बिहार की रेल से पिसे लोगों पर राजनीति
बलात्कारों पर राजनीति
हत्यारों पर राजनीति
चीत्कारों पर राजनीति
हाहाकारों पर राजनीति

गिर रहा है मनोबल देश का
गिर रहा स्वाभिमान देश का
पाकिस्तान से पडोसी धमकाते हैं
चीन से सीमा पर गुर्राते हैं

सब कुछ गिर रहा है पर वो क्यों नहीं गिरता
क्यों नहीं गिरता - जिसके कारण सब कुछ गिरता
रही नहीं इस देश को दरकार जिसकी
वो गिरती क्यों नहीं सर्कार इसकी

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