Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 22 अगस्त 2012

सड़ांध

रोज देखते हैं
एक नयी तस्वीर
इस देश की राज नीति की
एक से एक बदसूरत
एक से एक घिनौनी
लालच , भ्रष्टाचार और व्यभिचार वाली
खाज नीति की !

और इस निरंतर बदलती
तस्वीर का फ्रेम है वही
बस तस्वीरें हैं नयी
कोमनवेल्थ  का खिलाडी
सुरेश कलमाड़ी
टू  जी का बजा बाजा
कलाकार ऐ राजा
टेलीकोम घोटाले का कारण
दयानिधि मारन
और अब कोयले से काला
ये घोटाला निराला
देश की भू संपदा का दोहन
स्वयं मनमोहन

और तस्वीर के कुछ अलग रूप
जो और भी अधिक कुरूप
भंवरी का मरना 
सौजन्य राजस्थान के मंत्री महिपाल मदरना
बुढ़ापे में किलकारी
चिरयुवा नारायण दत  तिवारी
फिज़ा या अनुराधा बाली
हुई चाँद की सूरत काली 
गीतिका शर्मा ने फोड़ा भांडा
हरयाणा का मंत्री गोपाल कांडा 

भरी है तिजौरी कारनामो से
चंद  नाम निकले हैं कई अनामों से
जितना खोदो  उतनी दुर्गन्ध है
जितना ढूंढो उतनी सड़ांध है
राजनीति अब इतनी काली है
की राज नेता बन गया गाली है 






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