Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 4 जुलाई 2012

वेद क्या है


वेद कोई सुन्दर जिल्द वाली चार पुस्तकों का सेट नहीं
जो किताबों की अलमारी की शोभा बढ़ाये
वेद कोई सजावट का सामान  नहीं
क्योंकि इसमें पूरा  विश्व समाये

वेद ज्ञान है किताब नहीं 
वेद शब्द है लेख  नहीं
वेद कोष है कागज नहीं
वेद एक देन है कोई खोज नहीं

क्योंकि वेद तब भी थे 
जब नहीं था कागज
नहीं थी किताब
नहीं थी लिखाई 
नहीं थी छपाई

वेद शब्द हैं 
जो सीधे कानों तक पहुंचे थे
वेद ज्ञान है
जो ईश्वर ने दिया था
सृष्टि के प्रारंभ में
ऋषियों के माध्यम से 

वेद कोष है
जिसमे समाहित है ईश्वर के निर्देश 
आदेश नहीं - निर्देश
क्योंकि उसने दी हमें 
मानने  मानने की स्वतंत्रता 
कर्म करने की छूट 
ऐसा  होता 
तो फिर पुण्य और पाप कहाँ होते 
यदि वो ही करवाता 
तो बस पुण्य ही करवाता
पाप नहीं

वेद माता है
जो हमें जीवन का पीयूष पिलाती है
वेद पिता है
जो हमें बढ़ने को  भोजन देता है
वेद गुरु है 
जो हमें सम्पूर्णता के लिए ज्ञान देता है 
अगर हम लेना चाहे 

वेद क्या है 
सृष्टि का सिलसिला है
एक सृष्टि से दूसरी सृष्टि तक मिला है

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