Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

अन्ना का स्वप्न

गाँधी को नहीं देखा
पढ़ा था कि उसने लड़ी लड़ाई
देश की आजादी की
बिना हथियार के , मेरे भाई

छोड़ गए थे अंग्रेज
जब मैदान को
टेक दिए थे घुटने
उस फकीर के आगे
हमेशा एक कथा सी लगी
ये सारा इतिहास , ये बातें

सत्याग्रह ?
ये कैसी लड़ाई
किसी और से लड़ने की जगह
खुद से लड़ाई
सताना अपने आप को
किसी बड़े कारण के लिए
आगे बढ़ कर झेलना
सब के उदहारण के लिए

देख लिया
अपने जीवन काल में
ये सब संभव है
हर हाल में

मन में सच्चाई
विचारों में दृढ़ता
परिणाम की निश्चितंता
विश्व का कल्याण
ऐसा हो नेता अगर
ऐसा हो नेतृत्व अगर

फिर कौन लडेगा
ऐसे नेतृत्व से
क्यों नहीं जुड़ेगा
पूरा देश ऐसे व्यक्ति से
जब झुक सकती थी
एक आततायी विदेशी सरकार
तो क्यों नहीं झुकेगी
एक लोकतान्त्रिक सरकार

प्रधानमंत्री ने किया कल नमन उसको
सैलूट किया था इस बूढ़े फौजी को
अपशब्द लिए थे वापस किसी ने
सर झुकाया था पूरी संसद ने

देश का स्वर्णिम दिन है आज
देश ने पहनाया अन्ना को ताज
संसद में होगा जन लोकपाल
सरकार करेगी आज फैसला
भ्रष्टाचार का डंडा
कितना मजबूत हो
ये फैसला करेगा देश आज
अन्ना का पूरा होगा स्वप्न आज




2 टिप्‍पणियां:

  1. SIRF Anna ko Gandhi mat kaho..........
    ये तो "जय जवान जय किसान " ज्यादा है
    अब सत्याग्रह तो जवानो का इरादा है
    किसानों की हाय कांग्रेस को लगी
    महंगाई की मार सारे देश को डसी
    "अन्ना से देश को खतरा है "
    लूट तो कांग्रेसी रक्त का कतरा है
    'भलेमानुष' वहाँ नहीं जायेंगे
    अन्ना जहां जान गवाएंगे
    निकली है जनता अपनी जान पे खेल
    ये क्रिकेट का नहीं कोई रेलमपेल
    जागो समय आया मत सोओ तुम
    इस सरकारी चमची लेखनी को धोओ तुम
    पी ऍम ओ की करनी को अब मत सहो
    भ्रस्टाचार विरुद्ध बयार में खुद भी बहो

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