Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 26 मई 2011

ठहराव नहीं जीवन

ठहराव नहीं जीवन
बिखराव नहीं जीवन 
तूफानों से लडती 
एक नाव - यही जीवन 

सुख दुःख में अंतर है 
जीवन परतंत्र है 
चाहें न चाहें हम 
संघर्ष निरंतर है 

कुछ भी होता रहता 
मन सब कुछ है सहता 
साँसे चलती रहती 
जीवन चलता रहता 

घड़ियाँ आती जाती 
इच्छाएं मर जाती 
मुट्ठी में रेत जैसे 
इक उम्र फिसल जाती 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ठहराव नहीं जीवन
    बिखराव नहीं जीवन
    तूफानों से लडती
    एक नाव - यही जीवन
    जीवन की सही परिभाषा बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, आभार

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