Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 19 मई 2011

स्वागत नव वर्ष !

वर्ष २०१० बीत गया
वर्ष २०११ शुरू हुआ
क्या बदल गया ?
दिवार पर लगा हुआ एक कलेंडर
या
बस समय पर लगा हुआ एक लेबल

हम मनुष्य
रोक नहीं सकते समय को
बाँध नहीं सकते क्षणों के बहाव को
क्षण भर के लिए भी

जैसे दफ्तर में होते हैं
ढेर सारे कागज
उन्हें हम सजा देते हैं फाइलों में
और हर फ़ाइल को दे देते हैं एक नाम

उसी तरह
जीवन के क्षणों को संजोने के लिए
हमने दे दिए कुछ नाम
समय की  हर इकाई को

हमने दे दिए  ये नाम
घंटा मिनट सेकेण्ड
दिन सप्ताह माह
वर्ष सदी सहस्त्राब्दी

फिर हम देते हैं एक लेबल
समय की हर इकाई को
एक बजे, डेढ़ बजे .....बारह बजे
पहली तारीख , सातवीं तारीख ...तीसवीं तारीख
जनवरी फरवरी दिसंबर
२००९. २०१० , २०११

और फिर हम खेलते हैं
एक और नया खेल
हम ढूंढते हैं
ख़ुशी के बहाने
इन असंख्य लेबलों में -
जन्म का दिन , विवाह का दिन ,
रजत जयंती , स्वर्ण गाँठ
बड़ा दिन , नया वर्ष !

यदि परिवर्तन ही ख़ुशी है
तो हर दिन नया  होता है
बल्कि हर पल नया होता है
लेकिन हर नए लेबल के साथ
हम पुराने होते हैं
बढ़ते रहतें हैं - अपनी मृत्यु की तरफ
हर पल , हर दिन , हर वर्ष

दिवार पर लगे कलेंडर
और हम में
सिर्फ एक फर्क है
कलेंडर की उम्र होती है - एक वर्ष
हमारी - शून्य से शतक तक कुछ भी

नव वर्ष पर
हम ख़ुशी मानते हैं
एक नए कलेंडर के जन्म की
या फिर अपनी -
शून्य से शतक की और
अब तक की सफल यात्रा की

चलो कोई कारण तो मिला
खुश होने का
३१ दिसंबर २०१० की रात है
घडी ने बारह बजा दिए हैं
हैप्पी न्यू इअर टू मी !!!!


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