Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 5 जनवरी 2011

पत्थर और फूल

कितना मजबूत होता है पत्थर
कितना अडिग कितना अटल
कभी टूटता नहीं
कभी फूटता नहीं
जितना बड़ा हो उतना भारी
जितना गड़ा हो उतना भारी
वर्षा की झड़ से गलता नहीं
सूरज की किरणों से जलता नहीं
कीट पतंग  इसे खा नहीं सकते
जंगल के जानवर हिला नहीं सकते
कितना मजबूत होता है पत्थर
कितना मजबूत होता है पत्थर !

कितना कमजोर होता है फूल
कितना लाचार कितना निर्भर
तोड़ो तो टूट जाता है
छेड़ो तो बिखर जाता है
छोटा सा कितना हल्का सा
हवा से हिलता डुलता सा
सावन की बारिश को सह नहीं सकता
जेठ की किरणों में रह नहीं सकता
तितली भ्रमर कीट इसे खा ले
धीमी सी पवन इस डुला ले
कितना कमजोर होता है फूल
कितना कमजोर होता है फूल !

लेकिन पत्थर ! तुम किसी को क्या दे सकते हो
पत्थर हो बस कठोरता दे सकते हो
नंगे पैरों के लिए अंगार हो तुम
क्रोधित मन के लिए हथियार हो तुम
आपस में मिलो तो आग उगलते हो
बीच में कोई आये तो उसे मसलते हो
वर्षा की बूंदे बिखरती हैं तुम पर
संगीत की ध्वनि भी मुडती है तुम पर
पत्थर हो संगदिल हो , क्या दे सकते हो
अपनी निर्मम कठोरता दे सकते हो !

फूल  तुम छोटे सही ! सब तुम्हे कितना प्यार करते हैं
फूल तुम हलके सही ! सब कितना दुलार करते हैं
श्वासों  के लिए मधुर गंध हो
आँखों के लिए गुलाबी ठण्ड हो
ओस की बूंदों का शृंगार हो
भंवरों के लिए रस की धार हो
चित्रकार के रंगों की कल्पना हो
पर्व पर आँगन की अल्पना हो
मीठे संगीत का वातावरण हो
ईश्वर की मूर्ति का अलंकरण हो
भक्त के हाथों में पूजन हो
दुल्हन के हाथों में कंगन हो
प्रेमिका को प्यारा उपहार हो तुम
बुजुर्गों का आदर सत्कार हो तुम
तोरण हो सजे हुए द्वार पर तुम
भारी हो मोतियों के हार पर तुम
दुल्हे के माथे पर सेहरा हो
नवजात शिशु का चेहरा हो
विजय के क्षण में जयनाद हो
यज्ञवेदी  पर आशीर्वाद हो 
स्वागत हो जीवन के जन्म पर तुम
अंत तक के साथी मृत्यु पर तुम

एक प्रार्थना है ईश्वर से - गलत या सही
फूल सा कमजोर बना , पत्थर सा मजबूत नहीं

2 टिप्‍पणियां:

  1. पत्थर और फूल - मेरी एक पुरानी लेकिन अति लोकप्रिय रचना है . मुझे भी बहुत अर्थपूर्ण लगती है . आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है !

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई, बहुत सुन्दर कविता कहीं फूल सी कोमल तो कहीं पत्थर सी कठोर , पत्थर हो या फूल भाई सभी इश्वर की रचना है जब दुखो और दर्द की बरसात होती है तो फूल पत्थर बन जाते होगे और जब प्रेम का स्पर्श मिलता होगा तो पत्थर फूल से ख़िल जाते होगे जितने भी हमें पत्थर दिखते--- है वो कभी फूल रहेहोगे और जितने भी आसपास फूल खिले है वो कभी पत्थर रहे होगे इक गीत याद आया अगर दिल हमारा शीशे के बदले पत्थर का होता तो टूटता न फूटता ना मानता ना रूठता ना बार बार हँसता ना जार जार रोता "

    जवाब देंहटाएं