Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

इंसान कुछ नहीं

भगवान की दुनिया में इंसान कुछ नहीं
इंसान की तो छोडिये , भगवान कुछ नहीं

धनवान की है शोहरत धनवान की है इज्जत
विद्वान कुछ नहीं यहाँ , गुणवान कुछ नहीं

"अतिथि देवो भव" जिस देश का चलन था
घर आज कोई आया मेहमान कुछ नहीं

पैसा मिले तो पंडित, पैसा मिले तो पूजा
पैसा नहीं हो पास तो जजमान कुछ नहीं

कन्या बहुत है सुन्दर, कन्या पढ़ी लिखी है
जो दहेज़ न मिले तो , खानदान कुछ नहीं

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